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प्यार का इज हार

क्या सच मे हम पर भावनाओं का वास होता है जो सुप्त होती है जो अदृश्य होती है। या जो दिखाने मे हम लोगो को लज्जा आती है।

ऐसा ही कुछ मुनिशा महसूस करती जब वो पल्लव के साथ रहती थी मुनिशा को पता भी नही था कि प्यार किस चिड़िया का नाम होता है। प्यार मे कैसे जीना दुष्वार होता है। मुनिशा अपनी गुप्त भावनाओं को गुप्त मे ही रख के पल्लव से दूर होती जा रही थी।

वही पल्लव मुनि शा के करीब न चाहकर भी खीचा जा रहा था। मुनिशा का बचपना अब उसे भी भा रहा था। जब वो रात को अपनी डायरी लिखता तो उसमे मुनिशा ही होती।

एक अन जानी डोर उसे मुनिशा के करीब ला रही थी। वो भैरवी को भूलकर आगे बढना चाह रहा था पर बदले मे उसे मुनिशा का साथ चाहिये था।

एक कम सीन कली मेरे दिल मे खिली उसकी मासुमियत ने मचा दी खलबली । दिल कि हालत अब क्या बतलाये हे शाम भी ढली ढली।

पल्लव ऐसे ही मुनिषाका वर्णन करता था पर उसके सामने कुछ कहने से भी डरता था। वो उसे खोना नही चाहता था।

लेकिन एक दिन भैरवी का मिस कॉल मुनिशाने पल्लव के मोबाइल मे देखा तो वो बहुत गुस्सा हो गई । ये भावना पल्लव को समझ ना आयी क्योकि वो काम मे व्यस्त था।

दुसरे दिन भी मुनिशा पल्लव से बात नही कर रही थी ऐसे ही दिन बीत रहे थे फिर एक दिन पल्लव ने लिफ्ट मे मुनिशा को खुद के साथ लॉक कर लिया। पुरा कि, तुम चाहती क्या हो क्यो ऐसे चुप हो। मेरा दिल बहुत दुखी है वैसे भी मै फिर एक बार मेरे प्यार को खोना नही चाहता। ये सुन के मुनि शा मन ही मन मुस्काई। पल्लव ने वो मोबाइल का सीन पुरा मुनिशाको बताया।

उसने भैरवी को छोडने के लिये भैरवी से बात कि थी ये किस्सा सुनकर मुनिशा पल्लव के गले लग गई और रोने लगी और बोली आप मेरे लिये मँम को ना छोडे। ये बात सुनकर पल्लव उसपरचिल्लाया कि तुम्हे समझ नही आता क्या मै तुमसे प्यार करता हुँ वो मेरा भूतकाल थी।

तुम मेरा भविष्य हो मे तुम्हारे साथ जीना चाहता हूँ। बुरा होना चाहता हूँ ‌‌‌ । मै आज ही मम्मी पापा को तुम्हारे घर भेजता हूँ।

क्या पल्लव और मुनिशा का मिलन होगा़ ‍‌।यही जानने के लिये पढते पहिये मेरी कहानी

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4 Comments

Arti khamborkar

19-Dec-2024 03:55 PM

awesome

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Mohammed urooj khan

29-Apr-2024 01:19 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Babita patel

28-Apr-2024 10:54 AM

Amazing part

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